विद्युत धारा की परिभाषा, प्रकार, सूत्र, मात्रक एव उष्मीय, चुंबकीय प्रभाव कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
विद्युत धारा की परिभाषा-
आवेश की गति की अवस्था विद्युत धारा कहलाती है

जिस प्रकार किसी नदी में जल प्रवाहित होता है, ठीक उसी प्रकार किसी चालक में आवेश प्रवाहित होता है| चालक में से प्रवाहित होने वाला आवेश विद्युत धारा बनाता है| दूसरे शब्दों में, जब किसी चालक में आवेश प्रवाहित होता है तो इस प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं| यदि प्रवाहित होने वाला आवेश धनात्मक होता है| तो धारा की दिशा आवेश के प्रभावित होने की दिशा में ही होगी, परंतु यदि प्रवाहित होने वाला आवेश ऋणत्मक होता है| तो धारा की दिशा आवेश के प्रवाहित होने के विपरीत दिशा में होती है| यदि किसी बंद परिपथ में t सेकंड में प्रवाहित आवेश की मात्रा q है तो परिपथ में विद्युत धाराi = q / t अब यदि t = 1 सेकंड हो, तो उपयुक्त सूत्र सेअतः विद्युत धारा को इस प्रकार से भी परिभाषित किया जा सकता है “किसी परिपथ में 1 सेकंड में जितना आवेश प्रवाहित होता है उस आवेश को ही उस परिपथ की विद्युत धारा कहते हैं| “
विद्युत धारा का सूत्र
i = q / t जहाँ i = धारा, q = आवेश, t = समय
विद्युत धारा का मात्रक
विद्युत धारा का मात्रक कुलाम / सेकंड या एंपियर होता है |1 एंपियर = कुलाम/ सेकंड आता 1 एंपियर को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है
यदि किसी चालक में आवेश के प्रवाह की दर एक कूलाम प्रति सेकंड हो तो उस में प्रवाहित धारा एक एंपियर होती है|
विद्युत धारा के प्रकार
परिणाम तथा प्रवाह की दिशा के अनुसार “विद्युत धारा” सामान्यत दो प्रकार की होती है|
- प्रत्यावर्ती विद्युत धारा
- दिष्ट विद्युत धारा
प्रत्यावर्ती विद्युत धारा
वह धारा जिसका परिणाम तथा प्रवाह की दिशा समय के साथ परिवर्तनशील होते हैं तथा एक निश्चित
समय T के बाद अपनी पूर्व अवस्था में आ जाते हैं, प्रत्यावर्ती धारा कहलाती है|T/2 समय के लिए धारा
का प्रवाह एक दिशा में तथा अगले T/2 समय के लिए धारा का प्रवाहविपरीत दिशा में होता है| धारा
तथा समय के बीच वक्र एक ज्या वक्त होता है|
दिष्ट विद्युत धारा
यदि किसी चालक में प्रवाहित आवेश की दर समय के साथ नहीं बदलती है| तो चालक में प्रवाहित धारा स्थाई धारा कहलाती है| इस स्थाई धारा का परिणामएवं प्रवाह की दिशा समय के साथ अपरिवर्तित रहती है| यदि धारा जिसका परिणामएवं प्रवाह की दिशा नियत बनी रहती है| दिष्ट धारा कहलाती है| यदि धारा के प्रवाहकी दिशा नियत तथा परिणाम परिवर्तित हो तो उसे परिवर्तित दिष्ट धारा कहते हैं