सहसंयोजक बंध किसे कहते हैं?
सहसंयोजक बंध किसे कहते हैं? – दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन की साझेदारी द्वारा बने बंध को सहसंयोजक बंध कहते हैं। जिन यौगिकों में इस प्रकार का बंध पाया जाता है। उन्हें सहसंयोजी यौगिक कहते हैं।
जब दो परमाणु परस्पर एक, दो या तीन इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी करते हैं। तो बनने वाले संयोजक बंध क्रमह एकल बंध, द्वि बंध तथा त्रि बंध कहलाते हैं।
एकल बंध को सिंगल लाइन, द्विबंध में दो लाइन, त्रि-बंध में तीन लाइन से व्यक्त करते।

बंधो की व्याख्या सर्वप्रथम लुइस ने की थी।
सहसंयोजक बंध बनने के लिए आवश्यक शर्तें।
परमाणुओं के बीच संयोजक बंध बनने के लिए उनकी विधुत ऋणात्मकता समान या लगभग समान होनी चाहिए। दो अधातुओ के मध्य सहसंयोजक बंध बनते है।
जैसे – Cl2, Br2 आदि
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सहसंयोजक बंध के लक्षण
समान्य ताप और दाब पर साधारण सहसंयोजक यौगिक गैस या द्रव अवस्था मे होते है। क्योकि उनके अणु वांडरवाल बलों से जुड़े होते है। लेकिन उच्च अनुभार वाले यौगिक ठोस अवस्था मे होते है।
जैसे – Cl2 ( अणुभार 71 ) = गैस, Br2 ( अणुभार 160 ) = द्रव, I2 ( अणुभार 254 ) = ठोस
- सहसंयोजक यौगिक तीन प्रकार के होते है।
- मृदु, वाष्पशील ठोस, जिनमे क्रिस्टल की इकाई अणु है तथा अनु वन्डरवाल बलों के द्वारा जुड़े रहते है। जैसे – I2 , P4, S8 आदि
- वे ठोस जिनमे क्रिस्टल में कई परते होती है। जैसे ग्रेफाइट वे ठोस जिनमे प्रत्येक परमाणु एक-दूसरे से सहसंयोजक बंध द्वारा जुड़ कर विशाल अणु बनाते है। जैसे डाइमंड अदि।
- सहसंयोजक अणुओ के बीच दुर्बल वांडरवाल बल होते है, जिन्हे तोड़ने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः इनके गलनांक व क्वथनांक कम होते है। (विशाल अणुओ को छोड़कर)
- ये यौगिक विधुत कुचालक होते है। (ग्रेफाइट को छोड़कर)
- ये यौगिक अध्रुवी विलायक जैसे – CHCl2, CCl4 आदि में विलेय होते है। ध्रुवी विलायकों जैसे – H2O आदि में विलेय होते है।
- सहसंयोजक बंध दृढ़ व दिशात्मक होते है, अतः सहसंयोजक यौगिक समयावता प्रदर्शित करते है।
- ये यौगिक, विधुत सयोजी यौगिक की तुलना में मृदु तथा कम भंगुर होते है।
- इसकी रासायनिक अभिक्रियाओं में अणु भाग लेते है। तथा अभिक्रियाएं से बहुत धीमी होती है।