दर्पण की परिभाषा || समतल दर्पण || गोलीय दर्पण || समतल दर्पण से बनने वाले प्रतिबिंब की संख्यासंख्या
दर्पण की परिभाषा
कोई चिकना तल जिसके एक पृष्ठ पर पालिश करके दूसरे पृष्ठ को परावर्तक बना दिया जाता है दर्पण कहलाता है|
दर्पण दो प्रकार के होते हैं|
समतल दर्पण
गोलीय दर्पण
समतल दर्पण से बनने वाले प्रतिबिंब की संख्यासंख्या
यदि दो दर्पण के बीच का कोड ∅ है तो उसके बीच रखी वस्तु के प्रतिबिंब की संख्या
n = 360/∅ – 1 ( यदि 360/∅ सम है)
यदि n = 360/∅-1 का मान पूरा अंक ना हो तो प्रतिबिंब की संख्या अगले पूर्णांक के बराबर होती है|
समतल दर्पण से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- किसी व्यक्ति को अपना पूरा प्रतिबिंब देखने के लिए दर्पण की लंबाई व्यक्ति की ऊंचाई से आधी होनी चाहिए|
- प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है|
- समतल दर्पण की फोकस दूरी अनंत तथा क्षमता 0 होती है|
- यदि वास्तु समतल दर्पण की ओर v चाल से गति करती है, तो प्रतिबिंब की ओर वस्तु की सापेक्षिक चाल 2v होती है
समतल दर्पण का घूमना
यदि समतल दर्पण को ∅ कोर पर घुमा दिया जाए तो परावर्तित किरण 2∅ कोड गुम जाती है
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
- यदि दो समतल दर्पण के बीच का कोण 50 है तो उनके बीच रखी वस्तु के प्रतिबिंब की संख्या ज्ञात कीजिए?
हल
प्रतिबिंब की संख्या
n = 360/∅ -1
= 360/50 – 1
n = 6.2
क्योंकि यान का मान पूर्णांक नहीं है अतः प्रतिबिंब की संख्या साथ होगी
- कोई मनुष्य समतल दर्पण की और 50 सेंटीमीटर की दूरी से 10 सेंटीमीटर प्रति सेकंड के वेग से चल रहा है 3 सेकंड के पश्चात मनुष्य और उसके प्रतिबिंब के बीच की दूरी होगी
हल
दर्पण की ओर चली दूरी = 3×10 = 30 मीटर
मनुष्य की दर्पण से दूरी = 50 – 30 = 20 मीटर
अतः मनुष्य तथा प्रतिबिंब के बीच की दूरी
= 20+20 = 40 मीटर